एक मामले मे सुप्रीम कोर्ट ने 10 साल के रेप बिटिम् को abortion करने की इजाजत नहीं दी थी क्योकि उसके गर्भ मे पल रहा बच्चा 32 सप्ताह का हो चुका थाा
और मेडिकल रिपोर्ट में ये कहा गया है इस situation मे लड़की और उसके होने वाले बच्चे को abortion से उसके जान का खतरा हो सकता हैं और एक रेप बिटिम् के 26 सप्ताह का प्रेग्नेंसी के गर्भपात करने से सुप्रीम कोर्ट ने मना कर दिया था और ये कहा था
मेडिकल रिपोर्ट के मुताबिक महिला के जान का खतरा हो सकता हैं ऐसे में ये जानना जरूरी है की abortion में हमारा कानून क्या कहेता है
सो गाईस आज के इस पोस्ट मे हम बात करने वाले है की महिला का abortion कब और किसके सहमति से कराया जा सकता हैं और किस situation मे कराया जा सकता हैं और इस पर कानूनी प्रोविजन क्या है तो चलिए शुरू करते हैं
1971 मे मेडिकल termination ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट बनाया गया था और इसके तहत abortion से जुड़े तमाम कानूनी प्रोविजन किये गए थे
कानून के तहत 20 सप्ताह के प्रेग्नेंसी महिला के बाल्फेयर को महिला के फायदे को देखते हुए और डॉक्टर की सलाह से termination किया जा सकता हैं और 20 सप्ताह से ऊपर का प्रेग्नेंसी मामले में कोर्ट के इजाजत से ही abortion कराया जा सकता हैं
चलिए अब हम बात करते हैं कानून abortion कब कराया जा सकता हैं मेडिकल termination ऑफ प्रेग्नेंसी act मे कहा गया है
की अगर गर्भ के कारण महिला की जान खतरे में हो या गर्भ मे पल रहे बच्चे की वीक्लांगता यानी की डिशब्लैटि के शिकार होने की अंशक्का हो तो abortion कराया जा सकता हैं
अगर महिला मानशिक या शरीर तौर पर कैटबॉल ना हो की वो गर्भ में बच्चे को पल सके तो भी abortion कराया जा सकता है अगर महिला के साथ रेप हुआ हो और महिला प्रेगनेंट हो गई हो तब भी abortion कराया जा सकता हैं
अगर महिला के साथ आयेसे रिश्तेदार ने संबध बनाये हो जो वर्जित रिश्ते से हो prohibted relationship मे आते हैं और उस बजह से महिला प्रेगनेंट हो गई हो तो भी abortion करा सकते हैं अगर बच्चे को मैंटल प्रॉब्लम हो या फिर फिजिकल डिपोजमेटि हो तब भी abortion कराया जा सकता हैं
चलिए अब हम बात करते हैं abortion करने के लिए किसकी सहमति जरूरी है यानी की किसकी सहमति से abortion कराया जा सकता हैं abortion के लिए सबसे पहले महिला की सहमति जरूरी है
हाली मे सुप्रीम कोर्ट ने यह कहा था महिला का अपने शरीर पर एपसेल्युट डिस्क्रेशं यानी की सम्पूर्ण अधिकार होता है महिला को इस अधिकार से वंचित नही किया जा सकता ये एक फंडामेंटेल्स प्रिंसपल है
की वो अपने शरीर पर एक्सल्यूट् डिस्क्रेशं के साथ साथ ही पर्सनल atramani का अधिकार रखती हैं ताकि वो अपने फैसले ले सके मेडिकल terminatan ऑफ प्रेग्नेंसी के अनुसार महिला के सहमति होना बहोत ही जरूरी है बिना महिला के सहमति का abortion कराना कानून अपराध है
चलिए हम बात करते हैं सजा का क्या प्रोविजन है महिला के सहमति के बिना उसकी प्रेग्नेंसी terminatan कारये जाने पर सक्स सजा का प्रोविजन किया गया है
अगर किसी महिला के खिलाफ उसका abortion करया जाता हैं तो ऐसे में दोसी पाये जाने पर उमर कैद तक की सजा हो सकती है
आईपीसी सेक्सन 312 के अनुसार अगर महिला के फायदे के लिए abortion nhi करया गया है तो ऐसे मामले में दोसी के खिलाफ कानून मे सक्स प्रोविजन बनाये गये है आईपीसी सेक्सन 313 के तहत ये प्रोविजन है
अगर महिला के सहमति के बिना उसका abortion करा दिया जाता हैं तो ऐसे मामले मे दोसी पाए जाने वाले सक्स को 10 साल तक की कैद की सजा हो सकती है या फिर उमर कैद की सजा हो सकती हैं
आईपीसी सेक्सन 314 के तहत ये प्रोविजन है अगर abortion कराये जाने के दौरान महिला की मौत हो जाती हैं तो दोसी पाये जाने वाले सक्स को 10 साल तक कैद की सजा हो सकती हैं
अगर abortion के लिए महिला सहमति नही थी फिर उसकी मौत हो जाये तो दोसी पाये जाने वाले सक्स को उमर कैद तक की सजा हो सकती हैं
सो गाईस आज के इस पोस्ट मे आप ने जाना की abortion पर हमारा कानून क्या कहेता है किसकी सहमति से कब और कैसे abortion हो सकता हैं अगर आप को पोस्ट पसंद आया है तो इसको like करिये अपने फ्रेंड के साथ शेयर करिये और अगर आप के मन में कोई प्रश्न है तो नीचे कॉमेंट मे पूछ सकते हैं
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