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 कई बार ऐसा देखने को मिलता है किसी मामले में सीधे थाने में और केस दर्ज नही होता तो ऐसे मामलों में कोर्ट में कॉम्पलें किये जाने का प्रोविजन है


 आये दिन अदालत में बहोत सारे कॉम्पलें केस दाखिल किये जाते हैं और उन मामलों में सिकायति के बयन दर्ज किये जाते हैं अगर कोर्ट सिकायति के इस बयन से सैटिशफाइड हो जाता है तो आरोपी के नाम संमन जारी किया जाता है


 सो गाईस आज के इस पोस्ट म हम बात करने वाले है की कॉम्पलें केस कब दाखिल किये जाते हैं और उनमें क्या क्या कानूनी प्रोविजन है तो चलिए शुरू करते हैं 


सबसे पहले हम बात करते हैं cognizable offence यानी की बड़े अपराध मे कॉम्पलें कब दाखिल की जा सकती हैं अगर किसी सीरियस क्राइम मे पुलिस f. I. R. दर्ज नही करती तो सिकायती सीधे c. R. P सेक्सन 156 शब्द सेक्सन 3 के तहत अदालत में आर्जी दाखिल कर सकता हैं


 और अदालत पेस किये गए सबूतो के आधार पर फैसला लेती हैं ऐसे मामलों मे पुलिस के सामने दी गई सिकायतो की कॉपी याचिका के साथ लगाई जाती हैं  और अदालत के सामने सभी सबूत जो भी आप के पास हो वो भी पेस किये जाते हैं


  इस मामले में पेस किये गए सबूतो और बयन से कोर्ट सर्टिफाइट हो जाती हैं तो कोर्ट पुलिस को ऑर्डर देती हैं की वो केस दर्ज कर के छान विन शुरू करे चलिए हम शुरू करे 


Noun cognizable offence यानी के छोटे अपराधो मे कॉम्प्लेन कब दाखिल की जा सकती हैं जब मामला noun cognizable offence का हो तो अदालत मे आई पी सी सेक्सन 2 सौ के तहत कॉम्प्लेन केस दाखिल किया जाता हैं


 कानून प्रोविजन के तहत सिकायति अदालत के साथ तमाम सबूतो पेस करने होते हैं उन डॉक्यूमेंट को देखने के साथ साथ अदालत मे डिफ़ेंडन्ड् का समन जारी करने से पहले का एवीडेंश भी रिकॉड किया जाता है


  सिकायति कोर्ट में जोभी एवीडेंश पेस करता है अगर कोर्ट उससे शर्टिशफाईड हो जाता है तो कोर्ट यातो रिलेटेड पुलिस स्टेशन को ऑर्डर देती है 


की इस मामले की छान विन की जाये या फिर पुलिस किसी सिविल लाइन से किसी ऑफिसर को पकड़ कर उसको investigating officer बना देती हैं और उसको कहा जाता हैं की इस केस की investigeting करिए 

चलिए हम बात करते हैं डिफ़ेंडन्ड् आरोपी कब बनता है सिकायति ने जिस पर आरोप लगाया है तो वो तब तक आरोपी नही बनता जबतक की कोर्ट उसे बातोर आरोप का समन जारी न कर दे यानी की सिकायति ने जिन पर आरोप लगाया है 


तो वो डिफ़ेंडन्ड् होता है और जब अदालत ने इस बयन से सर्टिश फाइड हो जाती है तो डिफ़ेंडन्ड् के बातोर आरोपी को एक समन जारी करती हैं और इसके बाद ही डिफ़ेंडन्ड् को आरोपी कहा जाता हैं 


 और इसके पहले नहीं कहा जाता कॉम्प्लेन केस में सिकायति ने जो भी कोर्ट में एवीडेंश स्टेट्मेंट पेस की है अगर कोर्ट उनसे सर्टिशफाइट नही होती हैं तो उस केस को वही खारीच कर दिया जाता है 


एक बार अदालत से समन जारी होने के बाद आरोपी अदालत में पेस होता है और फिर मामले की सुनवाई शुरू होती हैं और ट्रायल शुरू होता है चलिए हम अब बात करते है 


पुलिस केस मे और कँम्प्लेट मे क्या फर्क होता है, कँम्प्लेट केस में सिकायति को हर तारीख को पेस होना पड़ता है और अगर सिकायत पर पुलिस ने सीधे f. I. R. दर्ज कर ली है 


या फिर अदालत के आर्डर से पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है तो सिकायती को हर तारीख पर पेसि मे जरूरी नहीं होती हैं ऐसे मामलों में जिस दिन सिकायति का बयन दर्ज होना होता है 


उसी दिन सिकायति को कोर्ट जाने की जरूरत होती हैं कँम्प्लेट केस में सिकायति को सभी एवीडेंश स्टेट्मेंट जमा कर के कोर्ट के सामने पेस करने होते है जब की पुलिस केस पुलिस मामले की जाच करती हैं 


अपनी फाइनल रिपोर्ट कोर्ट में पेस करती हैं पुलिस केस में आरोपी और सिकायति के बीच समझौता होता है होने के बाद कोर्ट की इजजत से केस को रद्द किया जा सकता हैं वही कँम्प्लेट केस में सिकायति चाहेतो वापस ले सकता हैं 



शो गाईस आज के इस पोस्ट मे आप ने जाना की कँम्प्लेट केस कब दाखिल किया जा सकता है और कँम्प्लेट केस में क्या क्या प्रोविजन होते हैं अगर आप को ये पोस्ट पसंद आया है तो इसको like करिये और अपने फ्रेंड के साथ शेयर करिये और अगर आप के मन में कोई प्रश्न है तो नीचे कॉमेंट मे पूछ सकते है 

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