मौत के बाद अपने सम्पति इस्तमाल का हक किसी को सौपने का फैसला अपने जीते जी लेना वसियत् कहलाता है वसियत् करने वाला अपने वसियत् मे ये बतता है
की उसके मौत के बाद उसकी सम्पति का हिस्सा किसको कितना मिले गा सो गाईस आज के इस पोस्ट में हम बात करने वाले है वसियत् क्या होती हैं कब क्यु और कैसे की जाती हैं तो चलिए शुरू करते हैं
सबसे पहले हम बात करते हैं की वसियत् क्या होती हैं आप के डेथ हो जाने के बाद चल अचल सम्पति movable immovable property f. D.R.बैंक बैलेंस ceohimachal mutual fund का बटवारा आपके उत्रआधिकारी हो यानी के successar मे कैसे होगा किस रेसियो मे होगा
इसको अच्छी तरह से सोच समझ कर एक लिखा पढ़ी कर के उसे एक रजिस्टर ऑफिस में सब रजिस्टर कराके उसे वसियत् कहते हैं वसियत् को रजिस्टर कराना जरूरी नहीं होता है अगर आप एक सादे कागज पर अपनी वसियत लिख देते हैं तो वो भी वैलिड होते हैं
चलिए हम बात करते हैं वसियत् कौन कर सकता है वसियत कोई भी ऐसा सक्स कर सकता हैं जिसकी उम्र 18 साल से ज्यादा हो और जो साउंडमाइंड हो और वो किसी धोके या किसी प्रेशर मे न हो वो हिंदू मुस्लिम सिख्य ईसाई या किसी भी धर्म का या किसी भी जाती का हो सकता हैं वसियत् करने के लिए दो सर्थ है
1. उसकी उम्र 18 साल से ज्यादा होनी चाहिए
2. वो साउंडमाइंड होना चाहिए साउंडमाइंड का मतलब ये है कि वो अपने होस वास मे होना चाहिए पगल नही होना चाहिए बल्कि जो वो वसियत् कर रहा है वो उसको समझ भी रहा है
चलिए अब हम बात करते हैं वसियत् कब करना सही होता है जानरली 50 साल के उम्र होने के बाद आप को वसियत् कर देनी चाहिए लेकिन आप को employer retirement होने के बाद फॉरन ही वसियत् कर देना चाहिए अगर कोई आदमी किसी incurable disease से पीड़ित है तो उसको वसियत् कर देना चाहिए चाहे उसकी उम्र कम ही क्यो ना हो
चलिए अब हम बात करते हैं किन चीजों की वसियत की जा सकती हैं अचल संपत्ति यानी inmmovable property जैसे मकान दुकान फ्लेट फामहाउस खेती की जमीन चाहे आप अपनी कमाई से खारीदि हो या फिर आप के पुरखों से उत्राधिकार मे मिली है
लेकिन आप के नाम पर होनी चाहिए दूसरी चल सम्पति यानी की movable property जैसे कि नकदि जेबरात f. D. R. बैंक बेलेंस ceohimachal mutual fund provider fand मे जमा आमाउंट घरेलू समान बर्तन कपड़े furniture किसी पट्नर्शिप या कम्पनी मे आप का हिस्सेदारी या किसी भी Business बगैरा के वसियत् की जा सकती हैं
चलिए हम बात करते हैं वसियत् का फॉर्मेट क्या होता है वसियत् को आप अपने तरीके से लिख सकते हैं इसका कोई पिस्क्रैप फॉर्मेट नहीं होता है लेकिन कुछ जरूरी चीजें आप को जरूर आऐंड करना चाहिए जैसे कि की जिसके नाम पर आप पुरा वसियत् कर रहे हैं
उसका पुरा नाम उसके पिता का नाम उसकी उम्र अगर वो नबालिक है तो उसके गार्जन का नाम उसका पुरा पता उसके साथ आप का क्या रिश्ता है ये भी आप को लिखना चाहिए
आम तौर पर वसियत् सादे कागज पर अपने हाथ से लिखना चाहिए और अपने मदरटांग मे लिखनी चाहिए वसियत् मे आप को अपने पुरे सम्पति के डिटेल देनी चाहिए आधी अधूरी डिटेल देने पर झगड़े पड़ सकते हैं और उस वसियत् को कोर्ट में चैलेंज किया जा सकता हैं
चलिए हम बात करते हैं वसियत् के रजिस्ट्रेशन के बारे में वसियत् को लिख कर के उसको सब राजिस्ट्रां के पास पेस कर के रजिस्टर करा लेना चाहिए लेकिन वसियत् को रजिस्टर कराना जरूरी नहीं होता
कुछ लोग अपने काले धन की पुरी डिटेल अपने वसियत् मे लिख कर के उसको रजिस्टर के सामने उसको एक्सपोज करना नही चाहते इस लिए वी लोग अपनी वसियत् करने से बचते हैं इस लिए आप को ये समझ लेना चाहिए की वसियत् को रजिस्टर कराना जरूरी नहीं होता है
ये एक ऑपसंल होता है कुछ लोग ये सोचते हैं वसियत् के रजिस्टर करने मे सम्पति के कीमत के आधार पर भारी खर्चा होता है इसलिए ववसियत् को रजिस्टर कराने से कतराते है वही कुछ लोग ये सोचते हैं
अगर एक बार वसियत् को रजिस्टर करा लिया जाये तो उसके बाद वसियत् को बदला नही जा सकता हैं हालकि एक बार वसियत् को रजिस्टर करा लेते हैं तो उसके बाद आप एक नई वसियत् को बना कर के उसको रजिस्टर कर के पहली वाली वसियत् को कैंसिल कर सकते हैं
वसियत् को रजिस्टर कराने मे नाम मात्र का खर्चा होता है आप जब चाहे जितनी बार चाहे अपनी वसियत को बदल सकते हैं पहली वाली वसियत् को कैंसिल कर के आप नई वसियत् बना सकते हैं और उसको रजिस्टर करा सकते है
जब भी आप को लगे वसियत मे बदलाव होना चाहिए तो आप फिर से नई वसियत कर सकते हैं अगर आप ने कोई वसियत की और वो वसियत खो गई है तब आप के लिए अच्छा ये होगा की आप दोबारा से नई वसियत् करके उसको रजिस्टर कराये और इस नई वसियत् मे कुछ बदलाव भी करे और साथ मे ही आप को ये भी जिक्र कर देना चाहिए की पुरानी वसियत् कैंसिल कर दी गई है अब यही वसियत लागू होंगी
चलिए अब हम बात करते हैं वसियत् कैसकैसे करनी चाहिए वसियत् लिखने से पहले आप को अपनी बैलेंस शीट बना लेनी चाहिए अपनी चल अचल संपत्ति की एक लिस्ट बना लेनी चाहिए साथ ही आपने देनादरी को भी लिख लेना चाहिए अपनी लैब्रेटि को आप किस प्रोपर्टी से चुकाना चाहते हैंं
ये भी आप को तय कर लेना चाहिए इसके साथ ही कौन सी सम्पति किस पर्सन को देना चाहते हैं इसकी भी आप को लिस्ट बनानी चाहिए अगर कोई अचल संपत्ति यानी immovable प्रोपर्टी काफी बड़ी है
और आप उसको एक से ज्यादा पर्सन को देना चाहते हैं तो आप को उस अचल संपत्ति का नक्शा बनवा कर के अलग अलग रंगो से अलग अलग हिस्सों को दिखाना चाहिए और डिटेल से सभी का जिक्र अपने वसियत् मे करना चाहिए आप को ये भी ध्यान देना चाहिए
उस प्रोपर्टी पर आने जाने के रास्ते का जिक्र भी सभी हिस्से दारों के लिए होना चाहिए और ये भी ध्यान में होना चाहिए आप ने सभी चल अचल संपत्ति की वसियत् कर दी हो अगर कोई सम्पति छुट जाएगी तो वो झगड़े का कारण बन सकती हैं
वसियत् करने के बाद भी आमदनी जारी रहेती है और प्रोपर्टी बनती रहेती है इसलिए वसियत् करने के बाद फ्यूचर मे जो भी चल अचल संपत्ति खारीदि जाएगी उसका कितना हिस्सा किसको मिले गा इसका भी जिक्र आप को वसियत् मे करना चाहिए अगर ऐसा लिखना छुट जाता है तो बाकी सम्पति के लिए उत्राधिकारी को कोर्ट के दरवाजा खटखटाना पड़ता है
चलिए हम बात करते हैं की साझे के प्रोपर्टी की वसियत कैसी की जायेगी अगर कोई सम्पति साझे की है तो केवल उसी प्रोपर्टी की वसियत की जा सकती हैं जो वसियत करने वाले के नाम पर है
अगर कोई प्रोपर्टी partnership की है तब वो partner अपने हिस्से की ही वसियत करा सकता हैं चलिए हम बात करते हैं वसियत के गवाहों के वसियत लिखने के बाद उसमे दो गवाहों के सिग्नेचर कराने होते हैं
गवाह उसी आदमी को बनाना चाहिए जिन पर आप को भरोसा हो और जो आप के वसियत के बारे में प्रचार न करे और आप के उत्राधिकारी को भी न बताये आप के permission के बिना आप के वसियत के बारे में न बताये अगर आप वसियत को रजिस्टर नही करना चाहते हैं
तो इन दो गवाहों मे से एक गवाह डॉक्टर हो और दूसरा गवाह वकील हो ये सबसे अच्छा रहेता है क्योकि किसी भी डॉक्टर के गवाह से ये फ्रूप हो जायेगा की वसियत करने वाला वसियत करते समय पूरे होस हवास मे था मतलब की साउंडमाइंड था
और वकील के गवाही से ये फ्रूप हो जायेगा की वसियत कराने वाला वसियत कराते समय पुर लिगल हेल्प ली थी और बहुत सोच समझ कर ये ववसियत बनाई थी अगर आप घर के किसी मेम्बर को वसियत के गवाह बनाते हैं
तो ये कहा जा सकता है की वसियत को किसी प्रेशर मे आकर के किया गया है और उस वसियत को कोर्ट में चेलेंज किया जा सकता हैं वसियत कराते समय ये ध्यान में रखना चाहिए की दोनों गवाह सेहतमंद और वसियत कराने वाले से कम उम्र के होने चाहिए क्योकि गवाह बीमार और बूढ़े होंगे तो ये हो सकता हैं
की वसियत करने वाले से पहले उनकी मौत हो जाये तो उस situation मे आप को फिर दोबारा से वसियत लिखनी पड़ सकती हैं चलिए हम बात करते हैं वसियत न होने पर प्रोपर्टी कैसी मिलती हैं
वसियत रजिस्टर हो जाने पर सम्पति का बाटवरा वसियत करने वाले की इच्छा के हिसाब से होता है लेकिन कुछ लोग आपने बच्चों के नाराजगी से डरते है इस लिए वो जीते जी वसियत नही करते हैं
तो कुछ लोग लापरवाही और न्जिनेश् के चलते भी वसियत नही करते हैं तो वही कुछ लोग अपने काले धन के एक्सपोड हो जाने से वसियत नही करते हैं तो वहि कुछ लोग जानकारी न होने के वजहा से या stamp के खर्चे के डर से वसियत नहीं करते हैं
ऐसे लोगों की मौत के बाद उनके संतान या उत्राधिकारी के सामने काफी सारे प्रॉब्लम खाडी हो जाती है और अगर उन्होंने बैंक मे कोई लोका ले रखा था तो वो आपको ओपन करना काफी मुश्किल हो जाता हैं
और मरने वाले से जो लोग नकदि रुपया जमनि उधार ले रखा था और कोई प्रोड ना कोई कागज नही लिख रखा था तो वो लोग उस उधार से कभी कभार मुकर जाते हैं जिससे वो पैसा डूब जाता हैं
दूसरी ओर कर्ज देने वाले सिर पर आकर खाड़े हो जाते हैं जो प्रोपर्टी availabale होती हैं उसको पाने के लिए कोर्ट में जाना पड़ता है बैंक मे रखा आमाउंट भी बैंक तभी देता है जब कोर्ट से उत्राधिकारी सर्टिफिकेट जारी हो जाता हैंं
कोर्ट के प्रोसेस से समय और पैसों दोनों की बर्बादी होती हैं इसके अलावा कोर्ट मरने वाले के धर्म और कमनेर्टि को ध्यान में रख कर ही फैसला करती हैं अगर मरने वाला हिंदू है
तो उस पर हिंदू पर्सनल लॉ लागू होगा हिंदू पर्सनल लॉ मे लड़कियो को भी बराबर का अधिकार दिया गया है और अगर मरने वाला मुश्लिम धर्म का है तो उस पर मुश्लिम पर्सनल लॉ लागू होता हैं
जिसके अनुसार वसियत लिखी और मौखिक दोनों तरह के हो सकती हैं मुश्लिम पर्सनल लॉ मे सरियत के अनुसार ही सम्पति का बाटवरा हो सकता और अगर मरने वाला न तो हिंदू था और ना ही मुश्लिम था
तब उस पर भारतीय उत्राधिकार अधनियम यानी के the Indian succession act 1925 लागू होता है अगर वसियत रजिस्टर नही है तो उसको कोर्ट के सामने पेस करके उस पर कोर्ट का सर्टिफिकेट लेना जरूरी होता है कोर्ट सभी पार्टी के बात सुन कर तभी फैसला देती है
कोर्ट द्वारा certified वसियत को dublicate कॉपी को प्रोवेड् कहते हैं प्रोवेड् जारी होने के बाद वसियत के वेदता के बारे में कोई चुनौति नही दी जा सकती हैं अगर कोई वसियत करने से पहले ही गुजर जाये यानी की वसियत के बिना ही उसकी मौत हो जाये तो उसकी प्रोपर्टी के बाटवरा करने के लिए जो कोर्ट से आदेश पारित होता है
उसको लेटर ऑफ administration कहा जाता है चलिए हम बात करते हैं वसियत का executor कौन होता है वसियत करने वाला अपने वसियत मे ये भी लिखता है
उसके मौत हो जाने के बाद उसके चल अचल सम्पति का बाटवरा उसके वसियत के हिसाब से कौन करे गा जो सक्स उस सम्पति का बाटवरा करता है उसको executor कहा जाता हैं executor वसियत करने वाले का लिगल प्रितनिधि होता है
और जब तक मरने वाले का सभी चल अचल सम्पति का बाटवरा नही हो जाता हैं तब तक उस पर executor का अधिकार होता है चलिए हम बात करते हैं वसियत मे और बाटवरा मे क्या अंतर होता है
वसियत आपको जीते जी जरूर कर देना चाहिए लेकिन बाटवरा अपने जीते जी भूल कर भी नही करना चाहिए बाटवरा हमेशा प्रोपर्टी ऑनेर के डेथ के बाद ही होना चाहिए वसियत करने के बाद आप का प्रोपर्टी पर आप का अधिकार बना रहता है
आप जब चाहें अपनी वसियत को बदल सकते हैं और कैंसिल भी कर सकते हैं लेकिन एक बार बाटवरा हो जाने के बाद आप की प्रोपर्टी आप के हाथों से निकल जाती हैं
जीते जी बाटवरा करने मे ये भी देखने में आया है ki अपने भी पराये हो जाते हैं और जीते जी प्रोपर्टी का बाटवरा कर देने वाले का बहोत ही बुरा हार्श होता है तो वसियत और बाटवरा मे सबसे बड़ा फर्क यही है
की ववसियत कर देने से आप के प्रोपर्टी पर आप का अधिकार बना रहता है जब की बाटवरा कर देने से आप की प्रोपर्टी आप के हाथों से निकल जाती हैं
सो गाईस आज के इस पोस्ट में आपने जाना वसियत क्या होती हैं कब क्यो और कैसे कराई जाती है तो अगर आप को ये पोस्ट पसंद आया है तो आप अपने फ्रेंड के साथ शेयर करिये और अगर आप के मन में कोई प्रश्न है तो आप नीचे कमेंट में पूछ सकते हैं
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